Tag: Jawaharlal Nehru
शुरू का रहन-सहन
अनुवाद: प्रेमचंद
सरग़नाओं और राजाओं की चर्चा हम काफ़ी कर चुके। अब हम उस ज़माने के रहन-सहन और आदमियों का कुछ हाल लिखेंगे।
हमें उस पुराने...
किताब अंश: ‘कौन हैं भारत माता?’ – पुरुषोत्तम अग्रवाल
राष्ट्र और राष्ट्रवाद को लेकर देश में लगातार चल रही बहसों के बीच राजकमल प्रकाशन ने 'कौन हैं भारत माता' पुस्तक प्रकाशित की है।...
अख़बारों की आज़ादी
बंगाल की प्रांतीय कांग्रेस कमेटी की कार्य-समिति के 'युगान्तर' पत्र के बहिष्कार का प्रस्ताव पास करने तथा बंगाल सरकार द्वारा कई पत्रों से जमानत...
सरग़ना राजा हो गया
‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से – जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
बूढ़े सरग़ना ने हमारा बहुत-सा वक़्त ले लिया। लेकिन हम उससे...
सरग़ना का इख़्तियार कैसे बढ़ा
'पिता के पत्र पुत्री के नाम' से - जवाहरलाल नेहरू के ख़त, इंदिरा गाँधी को
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे उम्मीद है कि पुरानी जातियों और उनके बुज़ुर्गों...
ख़ानदान का सरग़ना कैसे बना
अनुवाद: प्रेमचंद
मुझे भय है कि मेरे ख़त कुछ पेचीदा होते जा रहे हैं। लेकिन अब ज़िन्दगी भी तो पेचीदा हो गई है। पुराने ज़माने...
खेती से पैदा हुई तब्दीलियाँ
अनुवाद: प्रेमचंद
अपने पिछले ख़त में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का कुछ हाल बतलाया था। बिल्कुल शुरू में जब आदमी सिर्फ़ शिकार पर...
भाग्य से सौदा (Tryst With Destiny Speech in Hindi)
जवाहरलाल नेहरू का भारत की आज़ादी पर दिया गया भाषण | 'Tryst With Destiny' - Speech by Jawaharlal Nehru on the eve of India's...
जबानों का आपस में रिश्ता
"जो कौमें आज दूर-दूर के मुल्कों में रहती हैं और भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलती हैं, वे सब किसी जमाने में एक ही बड़े खानदान की रही होंगी।"
आदमियों की कौमें और जबानें
"संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है शरीफ आदमी या ऊँचे कुल का आदमी। संस्कृत आर्यों की एक जबान थी इसलिए इससे मालूम होता है कि वे लोग अपने को बहुत शरीफ और खानदानी समझते थे। ऐसा मालूम होता है कि वे लोग भी आजकल के आदमियों की ही तरह शेखीबाज थे।"
तरह-तरह की कौमें क्योंकर बनीं
"रंग से आदमी की लियाकत, भलमनसी या खूबसूरती पर कोई असर नहीं पड़ता।"
तुम्हारी मुस्कुराहट के असंख्य गुलाब
महामानव
मेरे देश की धरती पर
तुम लम्बे और मज़बूत डग भरते हुए आए
और अचानक चले भी गए!
लगभग एक सदी पलक मारते गुज़र गई
जिधर से भी...