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कमल सिंह सुल्ताना की कविताएँ
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होंठ काटते हुए
मुझे ऐसा लगता है
जैसे मैं इस दुनियाई नक़्शे से
किसी देश का होना
लगभग काट-सा रहा हूँ
अचानक प्रेम की फुहार
मुझे भिगा देती है
मैं दुनिया...
कविताएँ: सितम्बर 2020
कुछ कविताएँ
कुछ कविताएँ
जो शायद कभी लिखी नहीं जाएँगी
वे हमेशा झूलती रहेंगी
किसी न किसी दरख़्त की छाँव में,
वे कविताएँ पीड़ाओं के रास्ते से
कभी काग़ज़ तक नहीं...