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कमला दास की कविता ‘परिचय’
मूल कविता: 'An Introduction'
कवयित्री: कमला दास
भावानुवाद: दिव्या श्री
मैं राजनीति के बारे में कुछ नहीं जानती
लेकिन उन नामों को जानती हूँ
जो सत्ता के शिखर पर...
कदम्ब
'Summer in Calcutta : Radha-Krishna' - Kamla Das
अनुवाद: ₹anjita
यह नदी, यह पुराना कदम्ब
आज, इसी क्षण से हमारा और सिर्फ हमारा होगा
हमारी भौतिक उपस्थिति के ऐलान...
कीड़े
'The Descendants: The Maggots' - Kamala Das
अनुवाद: पुनीत कसूम
शाम के समय, नदी के तट पर, कृष्ण ने
उसे आख़िरी बार प्रेम किया
और चले गए छोड़कर
उस...
प्यार
अनुवाद: पुनीत कुसुम
जब तक तुम मुझे नहीं मिले थे,
मैंनें कविताएँ लिखीं, तस्वीरें बनायीं
और दोस्तों के साथ
सैर के लिए
बाहर गई...
अब जब मैं तुम्हें प्यार करती...