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आत्मा की आवाज़
मैं अपना काम ख़त्म करके वापस घर आ गया था। घर में कोई परदा करने वाला तो नहीं था, पर बड़ी झिझक लग रही...
गर्मियों के दिन
"विश्वास की बात है, बाबू! एक चुटकी धूल से आदमी चंगा हो सकता है। होम्योपैथिक और भला क्या है? एक चुटकी शक्कर। जिस पर विश्वास जम जाए, बस।"
राजा निरबंसिया
"चन्दा, आदमी को पाप नहीं, पश्चाताप मारता है, मैं बहुत पहले मर चुका था। बच्चे को लेकर जरूर चली आना।"
"मैं जानता हूँ कि मेरे जहर की पहचान करने के लिए मेरा सीना चीरा जाएगा। उसमें जहर है। मैंने अफीम नहीं, रूपए खाए हैं। उन रूपयों में कर्ज का जहर था, उसी ने मुझे मारा है।"
दिल्ली में एक मौत
"सात नंबर की बस छूट रही है। सूलियों पर लटके ईसा उसमें चले जा रहे हैं और क्यू में खड़े और लोगों को कंडक्टर पेशगी टिकट बाँट रहा है। हर बार जब भी वह पैसे वापस करता है तो रेजगारी की खनक यहाँ तक आती है। धुंध में लिपटी रूहों के बीच काली वर्दी वाला कंडक्टर शैतान की तरह लग रहा है।
और अर्थी अब कुछ और पास आ गई है।"