Tag: Kannad Poem

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कल का ग्रन्थ

अनुवाद: बी. आर. नारायण कल मैं एक महाग्रन्थ प्रारम्भ करने वाला हूँ नेस्ट्रोडमस के ग्रन्थ जैसा आगे किस शताब्दी में कहाँ और किस गाँव में पड़ेगा अकाल, होंगी...

रोकना है न!

रूपान्तर: बी. आर. नारायण कितनी बसी है रक्त की बास इस धरती में कितने लोग मरे, कितने लोग रोये दुर्दैव है यह, आश्चर्य है यह तब भी धरती...
A K Ramanujan

स्टापू

"गली का यही खेल अफ्रीका में, जर्मनी में देखकर अचरज हुआ। खेल ही ऐसा है पड़ोस में अफ्रीका सामने के घर में जर्मनी.."
Traditional Woman leaning on wall

सती

प्रेम माने क्या है पता है मित्र? मात्र मेरे होंठ, कटि सहलाकर रमना नहीं मात्र बातों का महल बना उसमें दफ़ना देना नहीं। आओ कम-से-कम एक बार भीगो मेरे आँसुओं...
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