Tag: Kedarnath Singh
फ़र्क़ नहीं पड़ता
हर बार लौटकर
जब अन्दर प्रवेश करता हूँ
मेरा घर चौंककर कहता है 'बधाई'
ईश्वर
यह कैसा चमत्कार है
मैं कहीं भी जाऊँ
फिर लौट आता हूँ
सड़कों पर परिचय-पत्र माँगा...
हक़ दो
फूल को हक़ दो—वह हवा को प्यार करे
ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे
सिहरे, काँपे, उभरे
और कभी किसी एक अँखुए की आहट पर
पंखुड़ी-पंखुड़ी...
घास
दुनिया के तमाम शहरों से
खदेड़ी हुई जिप्सी है वह
तुम्हारे शहर की धूल में
अपना खोया हुआ नाम और पता खोजती हुई
आदमी के जनतन्त्र में
घास के सवाल...
कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/Zifr0G-vl2s
मेरे बेटे
कुँए में कभी मत झाँकना
जाना
पर उस ओर कभी मत जाना
जिधर उड़े जा रहे हों
काले-काले कौए
हरा पत्ता
कभी मत तोड़ना
और अगर तोड़ना...
शब्द
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/B2DLpCaJqyQ
ठण्ड से नहीं मरते शब्द
वे मर जाते हैं साहस की कमी से
कई बार मौसम की नमी से
मर जाते हैं शब्द
मुझे एक...
वह
इतने दिनों के बाद
वह इस समय ठीक
मेरे सामने है
न कुछ कहना
न सुनना
न पाना
न खोना
सिर्फ़ आँखों के आगे
एक परिचित चेहरे का होना
होना—
इतना ही काफ़ी है
बस...
हमारी ज़िन्दगी
हमारी ज़िन्दगी के दिन,
बड़े संघर्ष के दिन हैं।
हमेशा काम करते हैं,
मगर कम दाम मिलते हैं।
प्रतिक्षण हम बुरे शासन,
बुरे शोषण से पिसते हैं।
अपढ़, अज्ञान, अधिकारों से
वंचित...
सुई और तागे के बीच में
माँ मेरे अकेलेपन के बारे में सोच रही है
पानी गिर नहीं रहा
पर गिर सकता है किसी भी समय
मुझे बाहर जाना है
और माँ चुप है...
मेरी भाषा के लोग
मेरी भाषा के लोग
मेरी सड़क के लोग हैं
सड़क के लोग, सारी दुनिया के लोग
पिछली रात मैंने एक सपना देखा
कि दुनिया के सारे लोग
एक बस...
चट्टान को तोड़ो, वह सुन्दर हो जाएगी
चट्टान को तोड़ो
वह सुन्दर हो जाएगी
उसे तोड़ो
वह और, और सुन्दर होती जाएगी
अब उसे उठा लो
रख लो कन्धे पर
ले जाओ शहर या क़स्बे में
डाल दो...
यह पृथ्वी रहेगी
मुझे विश्वास है
यह पृथ्वी रहेगी
यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में,
यह रहेगी जैसे पेड़ के तने में
रहते हैं दीमक,
जैसे दाने में रह लेता...
रास्ता
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/ldYv667Tmbs
बगुले उड़े जा रहे थे
नीचे चल रहे थे हम तीन जन
तीन जन शहर से आए हुए
क्वार की तँबियाई धूप में
नहाए हुए...