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Rahul Tomar

राहुल तोमर की कविताएँ

प्रतीक्षा उसकी पसीजी हथेली स्थिर है उसकी उँगलियाँ किसी बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं उसका निचला होंठ दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर जागने को विकल लेटा हुआ...
Vivek Chaturvedi

ताले रास्ता देखते हैं

ताले... रास्ता देखते हैं चाबियों को याद करते हैं ताले दरवाज़ों पर लटके हुए... चाबियाँ घूम आती हैं मोहल्ला, शहर या कभी-कभी पूरा देस बीतता है दिन, हफ़्ता, महीना...
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