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राहुल तोमर की कविताएँ
प्रतीक्षा
उसकी पसीजी हथेली स्थिर है
उसकी उँगलियाँ किसी
बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं
उसका निचला होंठ
दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर
जागने को विकल लेटा हुआ...
ताले रास्ता देखते हैं
ताले... रास्ता देखते हैं
चाबियों को याद करते हैं ताले
दरवाज़ों पर लटके हुए...
चाबियाँ घूम आती हैं
मोहल्ला, शहर या कभी-कभी पूरा देस
बीतता है दिन, हफ़्ता, महीना...