Tag: Kishwar Naheed
ग्लास लैंडस्केप
अभी सर्दी पोरों की पहचान के मौसम में है
इससे पहले कि बर्फ़ मेरे दरवाज़े के आगे दीवार बन जाए
तुम क़हवे की प्याली से उठती...
ख़ुदाओं से कह दो
जिस दिन मुझे मौत आए
उस दिन बारिश की वो झड़ी लगे
जिसे थमना न आता हो,
लोग बारिश और आँसुओं में
तमीज़ न कर सकें
जिस दिन मुझे...
सोने से पहले एक ख़याल
मुझे नवम्बर की धूप की तरह मत चाहो
कि इसमें डूबो तो तमाज़त में नहा जाओ
और इससे अलग हो तो
ठण्डक को पोर-पोर में उतरता देखो
मुझे...
क़ैद में रक़्स
सब के लिए ना-पसंदीदा उड़ती मक्खी
कितनी आज़ादी से मेरे मुँह और मेरे हाथों पर बैठती है
और इस रोज़-मर्रा से आज़ाद है जिस में मैं...