Tag: Kumar Vikal

Kumar Vikal

ख़ुदा का चेहरा

एक दिन मैं शराब पीकर शहर के अजायबघर में घुस गया और पत्थर के एक बुत के सामने खड़ा हो गया। गाइड ने मुझे बताया यह ख़ुदा का...
Fist, Protest, Dissent

एक छोटी-सी लड़ाई

मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई एक झूठी लड़ाई में मैं इतना थक गया हूँ कि किसी बड़ी लड़ाई के क़ाबिल नहीं रहा। मुझे लड़ना नहीं अब— किसी...
Kumar Vikal

इश्तहार

इसे पढ़ो इसे पढ़ने में कोई डर या ख़तरा नहीं है यह तो एक सरकारी इश्तहार है और आजकल सरकारी इश्तहार दीवार पर चिपका कोई देवता या अवतार...
Kumar Vikal

खिड़कियाँ

जिन घरों में खिड़कियाँ नहीं होतीं उनमें रहने वाले बच्चों का सूरज के साथ किस तरह का रिश्ता होता है? सूरज उन्हें उस अमीर मेहमान-सा लगता है जो...
Man, Sad, Black, Abstract, Grief

दोपहर का भोजन

दुःख दुःख को सहना कुछ मत कहना— बहुत पुरानी बात है। दुःख सहना, पर सब कुछ कहना यही समय की बात है। दुःख को बना के एक कबूतर बिल्ली को अर्पित कर...
Kumar Vikal

नया पाठ

क कबूतर ख खरगोश ग से गांधी लेकिन बच्चो! कौन-सा गांधी? मोहनदास करमचंद गांधी बापू गांधी? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी? (बच्चों का समवेत स्वर) नहीं जानते हम बापू को नहीं जानते राष्ट्रपिता को हम तो...
Kumar Vikal

ख़तरा

जब तब अख़बारों में क़ीमतों के और बढ़ने की ख़बर आती है और घर के छोटे-छोटे ख़र्चों को लेकर मेरी पत्नी और मेरे दरम्यान गृह-युद्ध शुरू हो जाता...
Kumar Vikal

दुःखी दिनों में

दुःखी दिनों में आदमी कविता नहीं लिखता दुःखी दिनों में आदमी बहुत कुछ करता है लतीफ़े सुनाने से ज़हर खाने तक लेकिन वह कविता नहीं लिखता दुःखी दिनों...
Kumar Vikal

यह सब कैसे होता है

मैंने चाहा था कि मेरी कविताएँ नन्हें बच्चों की लोरियाँ बन जाएँ जिन्हें युवा माएँ शैतान बच्चों को सुलाने के लिए गुनगुनाएँ मैंने चाहा था कि मेरी कविताएँ लोकगीतों की...
Kumar Vikal

एक प्रेम कविता

यह गाड़ी अमृतसर को जाएगी तुम इसमें बैठ जाओ मैं तो दिल्ली की गाड़ी पकड़ूँगा हाँ, यदि तुम चाहो तो मेरे साथ दिल्ली भी चल सकती हो मैं तुम्हें अपनी...
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