Tag: Kumar Vikal
ख़ुदा का चेहरा
एक दिन मैं शराब पीकर
शहर के अजायबघर में घुस गया
और पत्थर के एक बुत के सामने खड़ा हो गया।
गाइड ने मुझे बताया
यह ख़ुदा का...
एक छोटी-सी लड़ाई
मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई
एक झूठी लड़ाई में मैं इतना थक गया हूँ
कि किसी बड़ी लड़ाई के क़ाबिल नहीं रहा।
मुझे लड़ना नहीं अब—
किसी...
इश्तहार
इसे पढ़ो
इसे पढ़ने में कोई डर या ख़तरा नहीं है
यह तो एक सरकारी इश्तहार है
और आजकल सरकारी इश्तहार
दीवार पर चिपका कोई देवता या अवतार...
खिड़कियाँ
जिन घरों में खिड़कियाँ नहीं होतीं
उनमें रहने वाले बच्चों का
सूरज के साथ किस तरह का रिश्ता होता है?
सूरज उन्हें उस अमीर मेहमान-सा लगता है
जो...
दोपहर का भोजन
दुःख
दुःख को सहना
कुछ मत कहना—
बहुत पुरानी बात है।
दुःख सहना, पर
सब कुछ कहना
यही समय की बात है।
दुःख को बना के एक कबूतर
बिल्ली को अर्पित कर...
नया पाठ
क कबूतर
ख खरगोश
ग से गांधी
लेकिन बच्चो! कौन-सा गांधी?
मोहनदास करमचंद गांधी
बापू गांधी?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी?
(बच्चों का समवेत स्वर)
नहीं जानते हम बापू को
नहीं जानते राष्ट्रपिता को
हम तो...
ख़तरा
जब तब अख़बारों में
क़ीमतों के और बढ़ने की ख़बर आती है
और घर के छोटे-छोटे ख़र्चों को लेकर
मेरी पत्नी और मेरे दरम्यान
गृह-युद्ध शुरू हो जाता...
दुःखी दिनों में
दुःखी दिनों में आदमी कविता नहीं लिखता
दुःखी दिनों में आदमी बहुत कुछ करता है
लतीफ़े सुनाने से ज़हर खाने तक
लेकिन वह कविता नहीं लिखता
दुःखी दिनों...
यह सब कैसे होता है
मैंने चाहा था कि मेरी कविताएँ
नन्हें बच्चों की लोरियाँ बन जाएँ
जिन्हें युवा माएँ
शैतान बच्चों को सुलाने के लिए गुनगुनाएँ
मैंने चाहा था कि मेरी कविताएँ
लोकगीतों की...
एक प्रेम कविता
यह गाड़ी अमृतसर को जाएगी
तुम इसमें बैठ जाओ
मैं तो दिल्ली की गाड़ी पकड़ूँगा
हाँ, यदि तुम चाहो
तो मेरे साथ
दिल्ली भी चल सकती हो
मैं तुम्हें अपनी...