Tag: Kunwar Bechain
चीज़ें बोलती हैं
अगर तुम एक पल भी
ध्यान देकर सुन सको तो,
तुम्हें मालूम यह होगा
कि चीजें बोलती हैं।
तुम्हारे कक्ष की तस्वीर
तुमसे कह रही है
बहुत दिन हो गए...
पिन बहुत सारे
ज़िन्दगी का अर्थ
मरना हो गया है
और जीने के लिये हैं
दिन बहुत सारे।
इस
समय की मेज़ पर
रक्खी हुई
ज़िन्दगी है 'पिन-कुशन' जैसी
दोस्ती का अर्थ
चुभना हो गया है
और...
‘घर, माँ, पिता, पत्नी, पुत्र, बंधु!’ – कुँवर बेचैन की पाँच कविताएँ
कुँअर बेचैन हिन्दी की वाचिक परम्परा के प्रख्यात कवि हैं, जो अपनी ग़ज़लों, गीतों व कविताओं के ज़रिए सालों से हिन्दी श्रोताओं के बीच...