Tag: Kushagra Adwaita

तुम अच्छी लगती हो

तुम्हारी आँखों में सुन्दर लगते हैं सपने, तुम्हारे होंठों पर जीवित हो उठते हैं रंग, जिस दिन तुम सर नहाती हो, उस दुपहरी तुम्हारी पीठ से निकलता है इंद्रधनुष, तुम्हारे मुख...
Abdulla Pashew

ऐब-बीनों से

अब्दुल्ला पाशा मौजूदा दौर के विख्यात कुर्दी कवियों में से एक हैं। इनका जन्म 1946 में दक्षिणी कुर्दिस्तान में हुआ था। इन्होंने 'सोवियत संघ'...
Ricardo Aleixo

मैं तुम्हें तुम्हारी गन्ध से जानता हूँ

रिकार्डो अलैक्जो का जन्म 1960 में मिनास गेराइस के बेलो होरीज़ोंटे में हुआ था। रिकार्डो अपनी समाज और दृश्यपरक कविताओं के लिए विख्यात हैं...
Kushagra Adwaita

अनुवाद और भाषा

Anuvaad Aur Bhasha, a poem by Kushagra Adwaita ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती, ऊर्जा का केवल अनुवाद सम्भव है मैं दूसरी भाषा की ऊर्जा का अपनी भाषा में अनुवाद...
Kushagra Adwaita

तुम्हारे होंठ मेरे लिए नए हैं

इन्हें कैसे स्पर्श किया जाए मेरी उँगलियों के पास वह कला नहीं है तुम्हारे होंठ मेरे लिए बिल्कुल नए हैं जैसे नई है यह ऋतु बासन्ती, जैसे पिछले शरद के पहले नए...

हम शहर के सबसे आवारा लड़के थे

हम शहर के सबसे आवारा लड़के थे लोग हमें देखते और औरों को नसीहत करते― इनकी तरह मत होना, हम में होने जैसा था ही क्या सो, हम...

जब मैं तुम्हें देख रहा होता हूँ

अनगिन लहर ही लहर देख रहा होता हूँ, शाम देख रहा होता हूँ या सहर देख रहा होता हूँ जब मैं तुम्हें देख रहा होता हूँ तब क्या देख...

तुम आई थीं

उस अंधियारी रात जब आसमान में बस तारे थे चाँद गुम था मैं हताश था, गुमसुम था तब, तुम आई थी अपने कमरे की खिड़की फाँद, मुँह पर दीदी की चुनरी बाँध, भीगी-भीगी, आंखें लेके, डरते-डरते, चोरी-चुपके, सबसे छिपके, मुझे...
Kushagra Adwaita

मुमकिन है

मुमकिन है, मैं सदा इतना पागल ना रहूँ, तुम ना रहो इतनी बावरी मुमकिन है, मैं हो जाऊँ थोड़ा दुनियादार, तुम हो जाओ थोड़ी सयानी, थोड़ी होशियार मुमकिन है, मुझको रहें याद शहर...
Kushagra Adwaita

सोलह बरस के लड़के की कविताएँ

एक सोलह बरस के लड़के की कविताओं के बिम्ब इतने कुरूप क्यों हैं? यहाँ मगरमच्छ क्यों हैं, रंग-बिरंगी मछलियाँ क्यों नहीं? कोई पूछता भी नहीं सोलह बरस के कवि से कि...

दो चुलबुली ब्लू टिक

वो आपसे रूठी रहेगी और कहेगी भी नहीं सबको पता होगा, सबके बाद: यानी सबसे गुज़रते हुए आपको ख़बर लगेगी कि आपकी जान आपसे रूठी हुई है आप दौड़ते हुए जाएँगे, छटपटा के...

रात चाँद की घरवाली

रात चाँद की घरवाली चाँद पियक्कड़ घरवाला डगमगा रहे कदम साले के इतनी पी ली है हाला कभी श्वेत, कभी काला, श्याम-सलोना गोपाला घूम-घाम के, पी-पा के रात गए, जब घर आता रात चखाती निवाला रात...
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