Tag: Labor
मज़दूर का जन्म
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
हाथी सा बलवान,
जहाज़ी हाथों वाला और हुआ!
सूरज-सा इंसान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला...
दिहाड़ी मज़दूर
मेरे गाँव में एक व्यक्ति के
कई रूप थे
वो खेतों में बोता था
बादल
और सबकी थालियों में
फ़सल उगाता था
वो शादियों में
बन जाता था पनहारा,
चीरता था लकड़ी
मरणों...
घर लौटते मज़दूर
बड़े शहर से गांव लौटते मज़दूर
कभी पूरा नहीं लौटते
शहर में छोड़ कर आते हैं वो
पुराने बरतन, फटी चटाई, स्टोव
इसके साथ ही छूटे रह जाते...
वह तोड़ती पत्थर
'Wah Todti Patthar', a poem by Suryakant Tripathi Nirala
वह तोड़ती पत्थर!
देखा मैंने उसे इलाहाबाद के पथ पर-
वह तोड़ती पत्थर।
कोई न छायादार
पेड़ वह जिसके तले...
मज़दूरों का गीत
मेहनत से ये माना चूर हैं हम
आराम से कोसों दूर हैं हम
पर लड़ने पर मजबूर हैं हम
मज़दूर हैं हम, मज़दूर हैं हम
गो आफ़त ओ...
काम चालू है
उस कमरे में घना अंधेरा है
लकड़ियों के उखड़े हुए फट्टे पड़े हैं इधर-उधर
जिनमें धँसी हुई हैं कीलें
जो पलक झपकते ही हो सकती हैं रक्तिम
बिजली...
मज़दूर की मज़दूरी
आपने चार आने पैसे मज़दूर के हाथ में रखकर कहा - "यह लो दिन भर की अपनी मज़दूरी।"
वाह क्या दिल्लगी है!