Tag: Labours
कायनात की कविताएँ
1
इश्क़,
तुम मेरी ज़िन्दगी में आओ तो यूँ आओ
कि जैसे किसी पिछड़े हुए गाँव में
कोई लड़की घण्टों रसोई में खपने के बाद
पसीने से भीगी बाहर...
अमलदारी
इससे पहले कि
अक्षुण्णताओं के रेखाचित्र ढोते
अभिलेखागारों के दस्तावेज़ों में
उलटफेर कर दी जाए,
उन सारी जगहों की
शिनाख़्त होनी चाहिए
जहाँ बैठकर
एक कुशल और समृद्ध समाज की
कल्पनाओं के...
विराग की कविताएँ
प्रतीक्षा हमारे ख़ून में है
जिन दिनों हम गर्भ में थे
सरकारी अस्पताल की लाइन में लगी रहती माँ
और डॉक्टर लंच के लिए उठ जाता, कहते...
शिव कुशवाहा की कविताएँ
दुनिया लौट आएगी
निःशब्दता के क्षणों ने
डुबा दिया है महादेश को
एक गहरी आशंका में
जहाँ वीरान हो चुकी सड़कों पर
सन्नाटा बुन रहा है एक भयावह परिवेश
एक...
घटना नहीं है घर लौटना
रोहित ठाकुर : तीन कविताएँ
घर लौटते हुए किसी अनहोनी का शिकार न हो जाऊँ
दिल्ली - बम्बई - पूना - कलकत्ता
न जाने कहाँ-कहाँ से
पैदल चलते...
राहुल बोयल की कविताएँ
1
नदियों में लहलहा रहा था पानी
और खेतों में फ़सल,
देखकर हर ओर हरियाली
हरा हो ही रहा था मन
कि अचानक फट पड़ता है
बेवक़्त काला पड़ा हुआ...