Tag: Language of Fishes

Pallavi Mukherjee

कविताएँ: अगस्त 2020

सुनो मछुआरे सुनो मछुआरे जितने जुगनू तुम्हारी आँखों में चमक रहे हैं न टिम-टिम तारों के जैसे, वे क्या हमेशा चमकते रहते हैं इसी तरह? सुनो मछुआरे जब तुम जाल फेंकते हो सागर में, तुम्हारी बाँहों की मछलियाँ मचल-मचल...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)