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मैं और वो
"विशाल, ये नदी के किनारे कहाँ मिलते होंगे? मिलते भी होंगे कि नहीं?" मुँह में पानी भरे-भरे ही सलोनी ने पूछा।
"तुमको क्या हो गया! पानी...
समर्पण
रात्रि विश्राम हेतु बिस्तर पर लेटने से पूर्व यामा ने नन्हे से पुत्र को स्नेहवत चुंबन दिया। तभी उसका ध्यान पुत्र के बगल में...
शहर की धुन
"शहर में काफी शोर होता है", मैंने धीमे से उसको देखते हुए बोला।
"पर मुझे ये शोर संगीत की धुन से लगते हैं, जिसपे ना जाने...
प्रेम, प्रेम, प्रेम
"प्रेम, प्रेम, प्रेम।"
"क्या हुआ है तुम्हें, तबियत सही है ना?"
"हाँ, तबियत को क्या हुआ?! बस तीन बार कुछ बोलने का मन हुआ। आज तो...
नई हिन्दी की शोस्टॉपर – रवीश कुमार की ‘इश्क़ में शहर होना’
मैं आज स्माल टाउन-सा फ़ील कर रहा हूँ...
और मैं मेट्रो-सी।
पढ़ने में सामान्य लेकिन शिकायत और शरारत दोनों दिखाती इन पंक्तियों से शुरू होने वाली...
चित्रलेखा
"जब भी मैं अलगाव की कोई भी बात पढ़ती हूँ तो उद्विग्न हो जाती हूँ। उस व्यक्ति से घृणा होने लगती है जिसने अलग होने की भूमि तैयार की है जबकि ऐसा आवश्यक नहीं कि वह गलत हो।"
इश्क़ में ‘आम’ होना
"तुम ऐसे खाते हो? मैं तो काट के खाती हूँ। ऐसे गँवार लगते हैं और मुँह भी गन्दा हो जाता है और पब्लिक में...
इंटरेस्टेड ही तो किया है!
"राहुल, तुमने वो आँटी वाली इवेंट में इंटरेस्टेड क्यों किया हुआ था?"
"ऐंवेही यार! अब तुम शुरू मत हो जाना, पैट्रिआर्कि, फेमिनिज्म, कुण्डी मत खड़काओ...
मन की बात
"सुनो।"
"हाँ।"
"अगर मेरे लिए कोई मन्दिर बनाकर उसमें मेरी मूर्ति रखे, तो मुझे तो बहुत अच्छा लगे।"
"पर ऐसे पूजने वाले ज्यादा हो जायेंगे और प्यार...
तुम मुबारक
"लगे इलज़ाम लाखो हैं कि घर से दूर निकला हूँ
तुम्हारी ईद तुम समझो, मैं तो बदस्तूर निकला हूँ।"
"तुम नहीं सुधरोगे ना? कोई घर ना...