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Abstract, Woman

जीवन सपना था, प्रेम का मौन

जीवन सपना था आँखें सपनों में रहीं और सपने झाँकते रहे आँखों की कोर से यूँ रची हमने अपनी दुनिया जैसे बचपन की याद की गईं कविताएँ हमारा दुहराया...
Rahul Tomar

राहुल तोमर की कविताएँ

प्रतीक्षा उसकी पसीजी हथेली स्थिर है उसकी उँगलियाँ किसी बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं उसका निचला होंठ दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर जागने को विकल लेटा हुआ...
Kahlil Gibran

खलील जिब्रान – ‘नास्तिक’

खलील जिब्रान की किताब 'नास्तिक' से उद्धरण | Quotes from 'Nastik', a book by Kahlil Gibran चयन: पुनीत कुसुम   "मेरा कोई शत्रु नहीं है, पर भगवान,...
Om Nagar

जीवन की बात

मैं इस हृदय विदारक समय में केवल जीवन के बारे में सोचता हूँ और उसे मेरी मृत्यु की चिन्ता लगी रहती है जबकि मैंने कई बार कहा भी क्या...
Shalabh Shriram Singh

जीवन बचा है अभी

जीवन बचा है अभी ज़मीन के भीतर नमी बरक़रार है बरक़रार है पत्थर के भीतर आग हरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है! जीवन बचा है अभी रोशनी...
Ibbar Rabbi

आगे जीवन दौड़ रहा है

ज़रा ध्यान से नीचे कोई सो रहा है एक पूरा आदमी हमारी ही तरह चलता था इसी धरती पर पूरा का पूरा नीचे। गीत गाता वह इमारतें बनायीं बस चलायी दावतें दीं दूल्हा बना कुर्सी छीनी नहीं...
Shailendra

तू ज़िन्दा है, तू ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर

तू ज़िन्दा है, तो ज़िन्दगी की जीत में यक़ीन कर अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर! सुबह औ' शाम के रंगे हुए गगन...
Usha Priyamvada

ज़िन्दगी और गुलाब के फूल

सुबोध काफ़ी शाम को घर लौटा। दरवाज़ा खुला था, बरामदे में हल्की रोशनी थी, और चौके में आग की लपटों का प्रकाश था। अपने...
Viren Dangwal

कैसी ज़िन्दगी जिए

एक दिन चलते-चलते यों ही ढुलक जाएगी गर्दन सबसे ज़्यादा दुःख सिर्फ़ चश्मे को होगा, खो जाएगा उसका चेहरा अपनी कमानियों से ब्रह्माण्ड को जैसे-तैसे थामे वह भी चिपटा रहेगा...
Balbir Singh Rang

ओ समय के देवता, इतना बता दो

ओ समय के देवता! इतना बता दो— यह तुम्हारा व्यंग्य कितने दिन चलेगा? जब किया, जैसा किया, परिणाम पाया हो गए बदनाम ऐसा नाम पाया, मुस्कुराहट के नगर...
God, Abstract Human

जो कुछ है

अगर तुम समझते हो कि तुमने सब कुछ जान लिया है तो यह तुम्हारा भ्रम है उम्र अनुभव देती है, पड़ताल नहीं अभी तुमने जाना नहीं है चीज़ों को...
Anamika Anu

कविताएँ: अक्टूबर 2020

तुम्हारा सम, मेरा विषम है तुम मिले अब तक नहीं मुझसे चार दशक से हम भाई-बहन हैं तुम माँ के बेटे हो मैं बेटी हूँ बाग़ी हम दोनों के...
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