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होंठ

'Honth', a poem by Kedarnath Singh हर सुबह होंठों को चाहिए कोई एक नाम यानी एक ख़ूब लाल और गाढ़ा-सा शहद जो सिर्फ़ मनुष्य की देह से टपकता...
Kushagra Adwaita

तुम्हारे होंठ मेरे लिए नए हैं

इन्हें कैसे स्पर्श किया जाए मेरी उँगलियों के पास वह कला नहीं है तुम्हारे होंठ मेरे लिए बिल्कुल नए हैं जैसे नई है यह ऋतु बासन्ती, जैसे पिछले शरद के पहले नए...
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