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Flower, Peace, War, Love

तुम फिर आना

मेरी आँखें भर गयी हैं बारूदों से उठते ग़ुबार से मानवता संस्कृति धर्म साहित्य की चिताएँ धधक रहीं हैं मैं देख नहीं पा रही समय के इस पार या उस पार ऐसे...
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