Tag: Lust

Kishor Kabra

तन के तट पर

तन के तट पर मिले हम कई बार, पर द्वार मन का अभी तक खुला ही नहीं, डूबकर गल गए हैं हिमालय, मगर जल के सीने पे...
Flowers in Hands, Love, Sex, Intimacy

कुण्ठाओं का स्खलन

'Kunthaaon Ka Skhalan', a poem by Ruchi मैंने प्रेम को स्पर्श भर जाना और स्पर्श से महसूस करना चाहा प्रेम, उसने मुझे सिखाया दूर बैठ आँखें...
Sensual Hands, Intimate

वह प्रेम में नहीं, देह में स्थिर था

'Wah Prem Mein Nahi, Deh Mein Sthir Tha', a poem by Saraswati Mishra वह देह में खोज रहा था प्रेम ठीक उसी समय सुदूर बैठी वह प्रेम...
Agyeya

चाँदनी चुपचाप सारी रात

'Chandni Chupchap Sari Raat', a poem by Agyeya चाँदनी चुपचाप सारी रात सूने आँगन में जाल रचती रही। मेरी रूपहीन अभिलाषा अधूरेपन की मद्धिम आँच पर तचती रही। व्यथा मेरी अनकही आनन्द...
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