Tag: Lust
तन के तट पर
तन के तट पर मिले हम कई बार, पर
द्वार मन का अभी तक खुला ही नहीं,
डूबकर गल गए हैं हिमालय, मगर
जल के सीने पे...
कुण्ठाओं का स्खलन
'Kunthaaon Ka Skhalan', a poem by Ruchi
मैंने प्रेम को स्पर्श भर जाना और स्पर्श से महसूस करना चाहा प्रेम,
उसने मुझे सिखाया दूर बैठ आँखें...
वह प्रेम में नहीं, देह में स्थिर था
'Wah Prem Mein Nahi, Deh Mein Sthir Tha', a poem by Saraswati Mishra
वह देह में खोज रहा था प्रेम
ठीक उसी समय सुदूर बैठी वह
प्रेम...
चाँदनी चुपचाप सारी रात
'Chandni Chupchap Sari Raat', a poem by Agyeya
चाँदनी चुपचाप सारी रात
सूने आँगन में
जाल रचती रही।
मेरी रूपहीन अभिलाषा
अधूरेपन की मद्धिम
आँच पर तचती रही।
व्यथा मेरी अनकही
आनन्द...