Tag: Mahatma Gandhi
किताब अंश: ‘उसने गांधी को क्यों मारा’
किताब अंश: 'उसने गाँधी को क्यों मारा' - अशोक कुमार पांडेय
यह किताब जहाँ एक तरफ़ गांधी पर अफ़्रीका में हुए पहले हमले से लेकर...
महात्मा गांधी की मृत्यु पर सरदार पटेल के भाषण
'भारत की एकता का निर्माण (27 भाषण)' से
गांधी जी की हत्या के एकदम बाद
दिल्ली, 30 जनवरी, 1948
भाइयो और बहनो,
आपने मेरे प्यारे भाई पं० जवाहरलाल...
टिप्पणी: ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ – अशोक कुमार पांडेय
किताब: 'उसने गांधी को क्यों मारा' — अशोक कुमार पांडेय
टिप्पणी: नरेंद्र सहरावत
बुद्ध के बारे में एक दंतकथा है कि बुद्ध ने एक सभा में सुबह...
राष्ट्रवाद का सच्चा स्वरूप
'मेरे सपनों का भारत' से
मेरे लिए देशप्रेम और मानव-प्रेम में कोई भेद नहीं है; दोनों एक ही हैं। मैं देशप्रेमी हूँ, क्योंकि मैं मानव-प्रेमी...
मेरे समकालीन: डॉ० भीमराव अम्बेडकर
डॉ० अम्बेडकर के प्रति और अछूतों का उद्धार करने की उनकी इच्छा के प्रति मेरा सद्भाव और उनकी होशियारी के प्रति आदर होने के...
तीस जनवरी
'30 January', a poem by Satyaprakash Soni
कमज़ोर-सा जिस्म था
शायद एक गोली से भी ख़त्म हो सकता था
हो सकता है गोली भी न चलानी पड़ती
कुछ दिन...
सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा – दुःखद प्रसंग – 1
"पत्नी की चेतावनी को तो मैं अभिमानी पति क्यों मानने लगा? माता की आज्ञा का उल्लंघन मैं करता ही न था। बड़े भाई की बात मैं हमेशा सुनता था।"
सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा – हाईस्कूल में
"अपने आचरण के विषय में मैं बहुत सजग था। आचरण में दोष आने पर मुझे रुलाई आ ही जाती थी। मेरे हाथों कोई भी ऐसा काम बने, जिससे शिक्षक को मुझे डाँटना पड़े अथवा शिक्षकों का वैसा खयाल बने तो वह मेरे लिए असह्य हो जाता था।"
डॉ. अर्जुन तिवारी कृत ‘राष्ट्रपिता की पत्रकारिता’
विवरण:
गाँधी अपने राष्ट्र की अनुपम विभूति हैं। उनको पाकर हम भारतवासी भाग्यवान हैं क्योंकि हमारे राष्ट्रपिता भारत ही नहीं पूरे विश्व में शान्ति, अहिंसा,...
सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा – ‘पतित्व’
"कस्तूरबाई ऐसी कैद सहन करनेवाली थी ही नहीं। जहाँ इच्छा होती वहाँ मुझसे बिना पूछे ज़रूर जाती। मैं ज्यों-ज्यों दबाव डालता, त्यों-त्यों वह अधिक स्वतंत्रता से काम लेती, और मैं अधिक चिढ़ता।"
अरुंधति राय कृत ‘एक था डॉक्टर एक था संत’
विवरण: वर्तमान भारत में असमानता को समझने और उससे निपटने के लिए, अरुंधति रॉय ज़ोर दे कर कहती हैं कि हमें राजनीतिक विकास और...
सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा – बाल-विवाह
"वह पहली रात! दो निर्दोष बालक अनजाने संसार-सागर में कूद पड़े। भाभी ने सिखलाया कि मुझे पहली रात में कैसा बरताव करना चाहिए। धर्मपत्नी को किसने सिखलाया, सो पूछने की बात मुझे याद नहीं।"