Tag: Makhdoom Mohiuddin
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बरात फूलों की
फूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की
आप का साथ, साथ...
सन्नाटा
कोई धड़कन
न कोई चाप
न संचल
न कोई मौज
न हलचल
न किसी साँस की गर्मी
न बदन
ऐसे सन्नाटे में इक-आध तो पत्ता खड़के
कोई पिघला हुआ मोती
कोई आँसू
कोई दिल
कुछ...
आज की रात न जा
रात आई है, बहुत रातों के बाद आई है
देर से, दूर से, आई है मगर आई है
मरमरीं सुब्ह के हाथों में छलकता हुआ जाम आएगा
रात...
रुत
दिल का सामान उठाओ
जान को नीलाम करो
और चलो
दर्द का चाँद सर-ए-शाम निकल आएगा
क्या मुदावा है
चलो दर्द पियो
चाँद को पैमाना बनाओ
रुत की आँखों से टपकने...