Tag: Mamtansh Ajit
रास्ते और मेरा सफर
मैं खुद को ही मंजिल मानकर चलता रहा अनजानी राहों पर, कुछ देर चलने के बाद मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो गहरा शून्य...
फर्क नहीं पड़ता
अब फर्क नहीं पड़ता...
जब कोई रिश्ता टूटता है या फिर जुड़ता है,
क्योंकि मुझे पता है कि वक्त की डोर जब ढीली पड़ेगी तो वो...