Tag: Manuj Depawat
तुम कहते संघर्ष कुछ नहीं
तुम कहते संघर्ष कुछ नहीं, वह मेरा जीवन अवलम्बन!
जहाँ श्वास की हर सिहरन में, आहों के अम्बार सुलगते
जहाँ प्राण की प्रति धड़कन में, उमस...
मैं प्रलय वह्नि का वाहक हूँ
मैं प्रलय वह्नि का वाहक हूँ,
मिट्टी के पुतले मानव का संसार मिटाने आया हूँ!
शोषित दल के उच्छवासों से, वह काँप रहा अवनी अम्बर
उन अबलाओं...
हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला
हे गाँव, तुझे मैं छोड़ चला, लाचार भरे इस भादों में।
था एक दिवस जब तेरे इस आँगन में फूली अमराई
था एक दिवस जब मेरे...
शोषक रे अविचल!
शोषक रे अविचल!
शोषक रे अविचल!
अजेय! गर्वोन्नत प्रतिपल!
लख तेरा आतंक त्रसित हो रहा धरातल!
भार-वाहिनी धरा,
किन्तु तुमको ले लज्जित!
अरे नरक के कीट!, वासना-पंक-निमज्जित!
मृत मानवता के अधरों...
मैं किसी आकुल हृदय की प्रीत लेकर क्या करूँगा
मैं किसी आकुल हृदय की प्रीत लेकर क्या करूँगा!
सिकुड़ती परछाइयाँ, धूमिल-मलिन गोधूलि-बेला,
डगर पर भयभीत पग धर चल रहा हूँ मैं अकेला,
ज़िंदगी की साँझ में...
आज जीवन गीत बनने जा रहा है
आज जीवन गीत बनने जा रहा है!
ज़िंदगी के इस जलधि में ज्वार फिर से आ रहा है!
छा गई थी मौन पतझड़ की उदासी!
गान जब...
आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ?
आ बतलाऊँ क्यों गाता हूँ?
नभ में घिरती मेघ-मालिका,
पनघट-पथ पर विरह गीत जब गाती कोई कृषक बालिका!
तब मैं भी अपने भावों के पिंजर खोल उड़ाता...