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सफ़ेद मूँछें, सिर पर उतने ही सफ़ेद छोटे-छोटे बाल
बूढ़े दुबले झुर्रीदार बदन पर मैली धोती और बनियान
चेहरा बिल्कुल वैसा जैसा अस्सी प्रतिशत भारतवासियों का
शहर...
शंकरानंद की कविताएँ
'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से
बल्ब
इतनी बड़ी दुनिया है कि
एक कोने में बल्ब जलता है
दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है,
एक हाथ अन्धेरे में हिलता है
दूसरा...