Tag: marital rape

Amrita Pritam

कुमारी

'Kumari', a poem by Amrita Pritam मैंने जब तेरी सेज पर पैर रखा था मैं एक नहीं थी- दो थी एक समूची ब्याही और एक समूची कुमारी तेरे...
Hand Covering Face, Sexual Abuse, Body

दो जिस्म

दो जिस्म रहते हैं इस घर में जो दिन के उजालो में दूर रात के अंधेरो में लफ़्ज़ खोलते हैं एक वो है जो सुबह की उस पहली चाय से रात के...
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