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Meenakshi Joshi

मीनाक्षी जोशी की कविताएँ

मध्यरात्रि का स्वप्न तुम मेरे लिए एक पुच्छल तारा हो जिसे जब भी देखती हूँ तो लगता है यह कहीं आख़िरी बार तो नहीं! फिर अपनी पलकों के टूटे हुए एक बाल...
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