Tag: Middle Class

Man holding train handle

ज़िन्दगी का लेखा

मैंने तेरी अलकों को नहीं अपनी उलझनों को सुलझाया है! अपने बच्चों को नहीं साहबज़ादों को दुलराया है! तब तुम्हें मुझसे शिकायत होना वाजिब है जब साहब को भी शिकायत...
Surendra Verma

मेहमान

सुरेन्द्र वर्मा की कहानी 'मेहमान' | 'Mehmaan', a story by Surendra Verma मोती‌ ‌घर‌ ‌के‌ ‌बाहर‌ ‌चबूतरे‌ ‌पर‌ ‌टहल‌ ‌रहा‌ ‌था‌‌।‌ ‌चबूतरे‌ ‌से‌ ‌बिल्कुल‌ ‌सटी‌...
Vinod Kumar Shukla

घर संसार में घुसते ही

घर संसार में घुसते ही पहिचान बतानी होती है उसकी आहट सुन पत्‍नी-बच्‍चे पूछेंगे— 'कौन?' 'मैं हूँ'—वह कहता है तब दरवाज़ा खुलता है। घर उसका शिविर जहाँ घायल होकर वह लौटता है। रबर...
Supriya Mishra

मध्यमवर्गीय ख़्वाब

'Madhyamvargiya Khwab', a poem by Supriya Mishra मिडिल क्लास का आदमी, दफ़्तर जाते हुए निहारता है रस्ते के दोनों तरफ़ उगे ऊँचे मकानों को। चुराता है किसी से रंग, किसी...
Rajkamal Chaudhary

ड्राइंगरूम

"जूड़ा बांधने की क्रिया के वक्त मेरी आंखें उसकी बांहों से चिपकी रहीं, और मैं आतंकित होता रहा। आतंकित इसलिए होता रहा कि उसका शरीर अपने-आप में शारीरिक आभिजात्य का सुंदरतम उदाहरण था और पता नहीं मेरा स्वभाव ऐसा क्यों है कि मैं नारी शरीर से और आभिजात्य से यों ही आतंकित होता रहा हूँ।"
Kumar Ambuj

इस बार

एक किताब ख़रीदी जाएगी कविताओं की और एक फ़्रॉक बिटिया के लिए छेदों वाली साड़ी माँ की दिनचर्या से अलग हो जाएगी एक बिन्दी का पत्ता चुनकर ख़रीदने का...
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