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Harivansh Rai Bachchan

गरमी में प्रातःकाल

मिलन यामिनी से  गरमी में प्रातःकाल पवन बेला से खेला करता जब तब याद तुम्‍हारी आती है। जब मन से लाखों बार गया- आया सुख सपनों का मेला, जब मैंने घोर...
Parveen Shakir

इतना मालूम है

अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़ सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा मैं यहाँ हूँ मगर उस कूचा-ए-रंग-ओ-बू में रोज़ की तरह...
Amrita Pritam

याद

आज सूरज ने कुछ घबराकर रोशनी की एक खिड़की खोली बादल की एक खिड़की बन्द की और अँधेरे की सीढ़ियाँ उतर गया आसमान की भवों पर...
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