Tag: Modsingh ‘Mrigendra’

Question Mark on Palm, Confusion

नये अँधेरे में

आज, ज़िन्दगी मसीहा बनना चाहती है कब्रें खोद-खोद गड़े मुर्दे उखाड़ हरेक को तर्क वितर्क की सीमाओं में कायर और भ्रष्ट सिद्ध करना चाहती है। आज, जिन्दगी मसीहा बनना चाहती है। क्रॉस पर टंगे...
Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

सुबह की तलाश

"वे अपने आंगन में एक किरण उतारने एक गुलाब खिलाने की कला में हर बार चूक गये।"
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