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Mohammad Alvi

ख़ाली मकान

जाले तने हुए हैं घर में कोई नहीं 'कोई नहीं' इक-इक कोना चिल्लाता है दीवारें उठकर कहती हैं 'कोई नहीं' 'कोई नहीं' दरवाज़ा शोर मचाता है कोई नहीं...
Mohammad Alvi

घर

अब मैं घर में पाँव नहीं रखूँगा कभी घर की इक-इक चीज़ से मुझको नफ़रत है घर वाले सब के सब मेरे दुश्मन हैं जेल से मिलती-जुलती...
Mohammad Alvi

आख़िरी दिन की तलाश

ख़ुदा ने क़ुरआन में कहा है कि लोगो मैंने तुम्हारी ख़ातिर फ़लक बनाया फ़लक को तारों से चाँद-सूरज से जगमगाया कि लोगो मैंने तुम्हारी ख़ातिर ज़मीं बनायी ज़मीं के सीने पे नदियों की लकीरें...
Mohammad Alvi

मैं और तू

ख़ुदा-वंद... मुझ में कहाँ हौसला है कि मैं तुझसे नज़रें मिलाऊँ तिरी शान में कुछ कहूँ तुझे अपनी नज़रों से नीचे गिराऊँ ख़ुदा-वंद... मुझ में कहाँ हौसला है कि...
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मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा

मगर मैं ख़ुदा से कहूँगा ख़ुदा-वंद! मेरी सज़ा तू किसी और को दे कि मैंने यहाँ इस ज़मीं पर सज़ाएँ क़ुबूलीं हैं उनकी कि जिनसे मुझे सिर्फ़ इतना तअल्लुक़...
Mohammad Alvi

मछली की बू

बिस्तर में लेटे लेटे उसने सोचा "मैं मोटा होता जाता हूँ कल मैं अपने नीले सूट को ऑल्टर करने दर्ज़ी के हाँ दे आऊँगा नया सूट दो-चार महीने बाद सही! दर्ज़ी...
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