Tag: Mohammad Ibrahim Zauq
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएँगे
तुम ने ठहरायी अगर ग़ैर के घर जाने...
क्या आए तुम जो आए घड़ी दो घड़ी के बाद
क्या आए तुम जो आए घड़ी दो घड़ी के बाद
सीने में होगी साँस अड़ी दो घड़ी के बाद
क्या रोका अपने गिर्ये को हम ने...
हाथ सीने पे मिरे रख के किधर देखते हो
हाथ सीने पे मिरे रख के किधर देखते हो
इक नज़र दिल से इधर देख लो गर देखते हो
है दम-ए-बाज़-पसीं देख लो गर देखते हो
आईना...
आते ही तू ने घर के फिर जाने की सुनाई
आते ही तू ने घर के फिर जाने की सुनाई
रह जाऊँ सुन न क्यूँकर ये तो बुरी सुनाई
मजनूँ ओ कोहकन के सुनते थे यार...