Tag: Moon
कैसे टहलता है चाँद
कैसे टहलता है चाँद आसमान पे
जैसे ज़ब्त की पहली मंज़िल
आवाज़ के अलावा भी इंसान है
आँखों को छू लेने की क़ीमत पे उदास मत हो
क़ब्र...
चाँद को देखो
चाँद को देखो चकोरी के नयन से
माप चाहे जो धरा की हो गगन से।
मेघ के हर ताल पर, नव नृत्य करता
राग जो मल्हार, अम्बर में उमड़ता
आ...
अगर चाँद मर जाता
अगर चाँद मर जाता
झर जाते तारे सब
क्या करते कविगण तब?
खोजते सौन्दर्य नया?
देखते क्या दुनिया को?
रहते क्या, रहते हैं
जैसे मनुष्य सब?
क्या करते कविगण तब?
प्रेमियों का...
बातों की पीली ओढ़नी
सुनो चाँद...
उस रात जब तुम आसमान में देर से उठे,
मैं बैठी थी वहीं किसी चौराहे पर शब्दों की, मात्राओं की और उनमें उलझी मुड़ी...
रंगबिरंगी परछाइयाँ
जैसे रात और दिन के बीच चाँद
चिपका रहता है आसमान से,
वैसे ही आजकल
बड़ी, गोल बिंदी भाती है मुझे
मेरे दोनों भवों के बीचोंबीच...
उस चाँद के हिस्से...
चाँदनी रात में नौका विहार
चाँदनी बिखेरती रात जगमगा रही
और हमें संग लिए नाव चली जा रही
आसमान के तले, याद के दिए जले
छपक छपक धार पर नाव शान से...
तुम्हारा मुझे चाँद कहना
तुम्हारा मुझे चाँद कहना
मजबूर करता है मुझे
सुंदर परिधानों, आभूषणों व शृंगार से ढँके रहने को..
आधा चाँद माँगता है पूरी रात
पूरी रात के लिए मचलता है
आधा समुद्र..
आधे चाँद को मिलती है पूरी रात
आधी पृथ्वी की पूरी रात..
आधी पृथ्वी के हिस्से में आता है
पूरा सूर्य..
आधे...
तुम मुबारक
"लगे इलज़ाम लाखो हैं कि घर से दूर निकला हूँ
तुम्हारी ईद तुम समझो, मैं तो बदस्तूर निकला हूँ।"
"तुम नहीं सुधरोगे ना? कोई घर ना...