Tag: Mukta Sharma
हम इतना तो कर सकते हैं
मैं सर्वोत्तम, तुम गौण न कह के
कुछ उनकी प्रशंसा कर सकते हैं।
हम इतना तो कर सकते हैं।
अगल-बगल मेरे सुरम्य सवेरा
उजाला उस कुटिया में भर...
ख्वाब
यह नहीं कि, कभी कोई ख्वाब नहीं हुए हैं पूरे।
फिर भी कहीं न कहीं, अभी भी रहते हैं अधूरे।
अंग-संग तेरे चलते चलें, चाहे अलग...
घर भी कुछ कहता है!!
कहाँ जाते हो तुम
मुझे छोड़ रोज?
दौड़-धूप करते हो
क्यों तुम रोज?
शायद पता है मुझे
क्यों जाते हो तुम!
शायद पता है मुझे
क्या पाते हो तुम!
अपने लिए तो
मुझे...