Tag: Namrata Shrivastav

मिठास (डाइबिटीज)

रगों में लहू का जी भर जाता है, मिठास भी क्या इतनी मुश्किल हो सकती है। मिठास ने ये कैसा पैंतरा मारा है मुँह मीठा करने का...
Mug, Window, Night, Emptiness, Solitude

ख़ालीपन

कभी ख़ालीपन का चरित्र-चित्रण किया है? ख़ालीपन का भार कितना बोझिल हो सकता है किसी तौल काँटे की सामर्थ्य से ज़्यादा किसी वाहन की क्षमता से भारी। ख़ालीपन निर्वात...
Girl, Woman

निर्जला

"मेरा व्यथित मन चीखना चाहता है और पूछना चाहता है कि निर्जला के माँस के गुलाबी रेशे किसके दाँतों में फँसे हैं?"

शैल-योग

स्वाति बूँद से तृप्त सीप-स्वर में निलय बोला, "अरी त्वरा! तू समुन्दर के इस रेत को देख रही है ना, तू बिल्कुल ऐसी ही...
Mother, Son, Kid, Mom

लकिया-पकिया

माँ ने बेड की दराज में पड़ी अरोमा ऑयल की शीशी निकाल ली और बच्चे के हाथ-पैर-पीठ व पेट की तेल से मालिश कर दी और बोली, "सर! आपकी मालिश हो गयी, अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं?" ग्राहक बना बच्चा बोला- "अहा मज़ा आ गया, मेरा तो पूरा दर्द ही छू-मंतर हो गया, बताइये कितने पैसे हुए?"
Couple

समर्पण

रात्रि विश्राम हेतु बिस्तर पर लेटने से पूर्व यामा ने नन्हे से पुत्र को स्नेहवत चुंबन दिया। तभी उसका ध्यान पुत्र के बगल में...

मिलन

"मुझे तो पानी से प्रेम हो गया है। किसी दिन जब जोर का मेघ बरसेगा तब झरने के नीचे खड़ी हो जाऊँगी; आकाश का पानी, झरने का पानी और नदी का पानी, हर ओर पानी। फिर इतना पानी पी लूँगी कि मैं भी गल कर पानी हो जाऊँगी।"

मस्सा

"स्व का आत्मबोध व्यक्ति को जितना प्रभावित कर सकता है, उतना किसी महात्मा का वचन नहीं। "

ऋतु शरद

सुस्वागतम् ऋतु शरद! आओ सुस्वागतम् । मूँज-पुष्प सा शरद दिवस, है धूसर वर्णी । पवन-पाश में, हिम अकुलाई काँपे सर्वस्व। गहन निशा के मुख पे पावक का उबटन । ओस मदित कचनार गुलाबी हुए मुदित । यूकेलिप्टस के प्रसून उड़ेलें तीक्ष्ण...
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