Tag: Narendra Sharma
मधु की एक बूँद
मधु की एक बूँद के पीछे
मानव ने क्या-क्या दुःख देखे!
मधु की एक बूँद धूमिल घन
दर्शन और बुद्धि के लेखे!
सृष्टि अविद्या का कोल्हू यदि,
विज्ञानी विद्या...
मेरे गीत बड़े हरियाले
मेरे गीत बड़े हरियाले,
मैंने अपने गीत,
सघन वन अन्तराल से
खोज निकाले
मैंने इन्हें जलधि में खोजा,
जहाँ द्रवित होता फिरोज़ा
मन का मधु वितरित करने को,
गीत बने मरकत के प्याले!
कनक-वेनु,...
क्या मुझे पहचान लोगी
'Kya Mujhe Pehchaan Logi', a poem by Narendra Sharma
मिल गए उस जन्म में संयोगवश यदि
क्या मुझे पहचान लोगी?
चौंककर चंचल मृगी-सी, धर तुरत दो चार पल...