Tag: Nature

Abstract, Time

चींटी और मास्क वाले चेहरे

स्वप्न में दिखती है एक चींटी और मास्क वाले चेहरे चींटी रेंगती है पृथ्वी की नाल के भीतर मास्क वाले चेहरे घूमते हैं भीड़ में सर से...
Vijendra

कामना

मैंने हर ढलती साँझ के समय सदा सूर्योदय की कामना की है जब सब छोड़कर चले गए वृक्ष मेरे मित्र बने रहे खुली हवा... निरभ्र आकाश में साँस लेता...
Abstract, Head, Human

मेरी आवाज़, भेद का भाव

मेरी आवाज़ बचपन से कोशिश जारी है पर अब तक पहाड़ के पार मेरी आवाज़ नहीं जाती पहले गूँजती थी और लम्बी यात्रा कर टकराकर लौट आती थी पहाड़ के इस...
Kishan Saroj

बड़ा आश्चर्य है

नीम-तरू से फूल झरते हैँ तुम्हारा मन नहीं छूते बड़ा आश्चर्य है रीझ, सुरभित हरित-वसना घाटियों पर, व्यँग्य से हँसते हुए परिपाटियों पर, इन्द्रधनु सजते-सँवरते हैँ तुम्हारा मन नहीं छूते बड़ा आश्चर्य है गहन...
Bird, Window, Hand

पहली बार

इन दिनों कैसी झूल रही गौरेया केबल तार पर कैसा सीधा दौड़ रहा वह गली का डरपोक कुत्ता कैसे लड़ पड़े बिल्ली के बच्चे चौराहे पर ही कैसे...
jasvir tyagi

जसवीर त्यागी की कविताएँ

प्रकृति सबक सिखाती है घर के बाहर वक़्त-बेवक़्त घूम रहा था विनाश का वायरस आदमी की तलाश में आदमी अपने ही पिंजरे में क़ैद था प्रकृति, पशु-पक्षी उन्मुक्त होकर हँस रहे थे परिवर्तन का पहिया घूमता...

पंच-अतत्व

'Panchatatva', a poem by Mudit Shrivastava 'मैं ताउम्र जलती रही दूसरों के लिए, अब मुझमें ज़रा भी आग बाक़ी नहीं' आग ने यह कहकर जलने से इंकार कर दिया 'मैं बाहर...

प्रकृति का प्रेम

कंकरीट जलता है जलाता है शहर को चिलचिलाती दोपहर में हाड़ तपती है सड़क पर, परिंदा उड़ता है, पंख अपने जलाता है तड़प कर प्राण रह जाती उसकी पानी की...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)