Tag: Naveen Sagar
वह मेरे बिना साथ है
वह उदासी में
अपनी उदासी छिपाए है
फ़ासला सर झुकाए मेरे और उसके बीच
चल रहा है
उसका चेहरा
ऐंठी हुई हँसी के जड़वत् आकार में
दरका है
उसकी आँखें बाहर...
हो सकता था
इतनी बड़ी दुनिया में कहीं जा नहीं रहा हूँ
भीतर और बाहर जगहें छोड़ता
शून्य से हटता हूँ।
किसी की ओर बढ़ता हुआ मैं हो सकता था
बहुत...
कभी आधा, कभी पूरा
छतों की दूरियाँ लाँघता मैं छतों से गिरा
खिड़कियों से झाँकता हुआ
गलियों में गिरा कभी आधा, कभी पूरा!
मैं निकाला गया
जिनमें झाड़ू दी लीपा पोता उन घरों से
धक्के...
वास्तव में अवास्तविक हूँ
जहाँ से शुरू हुआ हूँ
वहाँ से पहले से है मेरी शुरुआत
जहाँ हुआ हूँ ख़त्म
वहाँ से आगे चला गया है मेरा सिलसिला
जीवन के विभ्रम की...
प्यार करते हैं
लालच और नफ़रत की आंधी है
फ़ोटू में गांधी है
और बाज़ार ही बाज़ार है
ऐसे में वह दिन आता है
जब युद्ध ज़रूरी हो जाता है
नज़रें बचाते हुए
कहते हैं...
बचते-बचते थक गया
दिन-रात लोग मारे जाते हैं
दिन-रात बचता हूँ
बचते-बचते थक गया हूँ
न मार सकता हूँ
न किसी लिए भी मर सकता हूँ
विकल्प नहीं हूँ
दौर का कचरा हूँ
हत्या...
अच्छी सरकार
यह बहुत अच्छी सरकार है
इसके एक हाथ में सितार, दूसरे में हथियार है
सितार बजाने और हथियार चलाने की
तजुर्बेकार है
इसका निशाना अचूक है
क़ानून की एड़ियों वाले...
मेरी दस्तक
यह दस्तक हत्यारे की है
दूर किसी घर में उठी चीख़ों के बाद।
हर तरफ़ दम साधे
घरों के निहत्थे सन्नाटे भर हैं
हुआ क्या आख़िर
कि चीख़ों के इस संसार...
माँ
वह दरवाज़े पर है
उस पार से बहुत बड़ी दुनिया
पार कर के दस्तक
जब दरवाज़े पर होगी
तब के लिए वह रात-भर
दरवाज़े पर है।
वह एक भूली हुई...
भागते हैं
हमसे कुचलकर कोई
हिलते-भागते दृश्य में पीछे
छूट जाता है,
हम जान छोड़कर भागते हैं
जो लोग भागने की कठोरता को
देख रहे हैं,
जो अपमानित हैं,
जिन्हें ग़ुस्सा आता है,
और...