Tag: Nazm on daughter

Munawwar Rana

अड़े कबूतर उड़े ख़याल

इक बोसीदा मस्जिद में दीवारों मेहराबों पर और कभी छत की जानिब मेरी आँखें घूम रही हैं जाने किस को ढूँढ रही हैं मेरी आँखें रुक जाती हैं लोहे के उस...
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