Tag: Nazm
मछली की बू
बिस्तर में लेटे लेटे
उसने सोचा
"मैं मोटा होता जाता हूँ
कल मैं अपने नीले सूट को
ऑल्टर करने
दर्ज़ी के हाँ दे आऊँगा
नया सूट दो-चार महीने बाद सही!
दर्ज़ी...
अलाव
रात-भर सर्द हवा चलती रही
रात-भर हम ने अलाव तापा
मैंने माज़ी से कई ख़ुश्क सी शाख़ें काटीं
तुमने भी गुज़रे हुए लम्हों के पत्ते तोड़े
मैंने जेबों...
मैं और तू
रोज़ जब धूप पहाड़ों से उतरने लगती
कोई घटता हुआ, बढ़ता हुआ, बेकल साया
एक दीवार से कहता कि मिरे साथ चलो
और ज़ंजीर-ए-रिफ़ाक़त से गुरेज़ाँ दीवार
अपने...
एक दोस्त की ख़ुश-मज़ाक़ी पर
"क्या तिरी नज़रों में ये रंगीनियाँ भाती नहीं
क्या हवा-ए-सर्द तेरे दिल को तड़पाती नहीं
क्या नहीं होती तुझे महसूस मुझ को सच बता
तेज़ झोंकों में हवा के गुनगुनाने की सदा..."