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Sharad Billore

भाषा

पृथ्वी के अन्दर के सार में से फूटकर निकलती हुई एक भाषा है बीज के अँकुराने की। तिनके बटोर-बटोरकर टहनियों के बीच घोंसला बुने जाने की भी एक भाषा है। तुम्हारे...
Dream

स्वप्न के घोंसले

स्वप्न में पिता घोंसले के बाहर खड़े हैं मैं उड़ नहीं सकती माँ उड़ चुकी है कहाँ कुछ पता नहीं मेरे आगे किताब-क़लम रख गया है कोई और कह गया...
Gaurav Bharti

घोंसला, भाषा

घोंसला मुझे नहीं पता मेरे पास कितना वक़्त शेष है उम्र का कितना हिस्सा जी चुका कितना रह गया है बाक़ी मैं नहीं जानता आजकल बहुत कम सोता हूँ बहुत कुछ...
Deepak Jaiswal

हम अपने घोंसलों में चाँद रखते हैं

'Hum Apne Ghonslon Mein Chand Rakhte Hain', a poem by Deepak Jaiswal चाँद हर बार सफ़ेद नहीं दिखता उनींदी आँखों से बहुत बार वह लाल दिखता...
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