Tag: Nirala Poems

Suryakant Tripathi Nirala

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु! पूछेगा सारा गाँव, बंधु! यह घाट वही जिस पर हँसकर, वह कभी नहाती थी धँसकर, आँखें रह जाती थीं फँसकर, कँपते थे दोनों...
कॉपी नहीं, शेयर करें! ;)