Tag: Nirmala Singh
मैं मार दी जाऊँगी
मेरी आग बरसाती आँखें
कसती भिंचभिंचाती मुठ्ठियाँ
कँपकँपाते-फरफराते होंठ
थरथराता-क्रोधित शरीर
जवाब दे बैठता है,
जब खण्डहरों में चीख़ते हैं
मासूम आहत परिन्दे
सियासियों, सत्ताधारियों की
इमारतों में क़ैद
बिलखती-तड़पती हैं
भुखमरी, बेचारगी, लाचारी...