Tag: Objectification of Women
पूजा शाह की कविताएँ
पाज़ेब
पाज़ेब पाँवों में नहीं
स्तनों पर पहनने से सार्थक होंगी
जब औरतें क़दम रखती हैं
पकौड़ियों की थाली लिए
आदमियों से भरे कमरे में
उनकी गपशप के बीच
या जब...
आदिवासी लड़की
'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से
आदिवासी युवती पर
वो तुम्हारी चर्चित कविता
क्या ख़ूबसूरत पंक्तियाँ—
'गोल-गोल गाल
उन्नत उरोज
गहरी नाभि
पुष्ट जंघाएँ
मदमाता यौवन...'
यह भी तो कि—
'नायिका कविता की
स्वयं में सम्पूर्ण कविता
ज्यों
हुआ...
सन्नाटों में स्त्री
'Sannaton Mein Stree', a poem by Om Purohit Kagad
दिन भर
आँखों से ओझल रही
मासूम स्त्री को
रात के सन्नाटों में
क्यों करते हैं याद
ऐ दम्भी पुरुष!
दिन में
खेलते...