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निकानोर पार्रा की कविताएँ (दो)
आख़िरी प्याला
इस बात को पसन्द करो या मत करो
हमारे पास गिनती के तीन विकल्प होते हैं—
भूतकाल, वर्तमान और भविष्य
और दरअसल तीन भी नहीं
क्योंकि दार्शनिक...
परिन्दे
"कभी-कभी मैं सोचता हूँ मिस लतिका, किसी चीज को न जानना यदि गलत है, तो जान-बूझकर न भूल पाना, हमेशा जोंक की तरह उससे चिपटे रहना, यह भी गलत है।"
विस्मृत यादें
हम उस दौर में है
जब सिकुड़ने लगती है याददाश्त
और
असंख्य शाप पीछा करते हैं
कितना आसाँ होता है
पलट कर विस्मृति का एलबम खोल
बिना जोखिम के
कहीं पर...