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कवि की मौत ही उसका जीवन है
अनुवाद: बलराम अग्रवाल
रात के काले परों ने शहर को अपनी गिरफ़्त में ले लिया था। बर्फ़ की सफ़ेद चादर उसके ऊपर आ तनी थी।...
उतना कवि तो कोई भी नहीं
उतना कवि तो कोई भी नहीं
जितनी व्यापक दुनिया
जितने अन्तर्मन के प्रसंग
आहत करती शब्दावलियाँ फिर भी
उँगलियों को दुखाकर शरीक हो जातीं
दुर्दान्त भाषा के लिजलिजे शोर में
अंग-प्रत्यंग...
कहा मेरी बेटी ने
'ऐसे नहीं होते कवि' कहा मेरी
बेटी ने, ग्यारह साल की—
देखती हूँ, बहुत दिनों से नहीं
पूछा आपने, पौधों के बारे में।
छत पर नहीं गए
देखने तारे।
बारिश...
उस सदी की बात
कवि- अज्ञात
यह उस सदी की बात है
जब कविता लिखना
पढ़ना, सुनना और सुनाना
संगीन अपराध था
राज्य के निरंकुश राजा ने
ख़ुद को निर्वस्त्र कर पहन ली
फ़रेब की...
कवि
मैं ग्रीष्म की तेजस्विता हूँ
और गुठली जैसा
छिपा शरद का उष्म ताप
मैं हूँ वसन्त में सुखद अकेलापन
जेब में गहरी पड़ी मूँगफली को छाँटकर
चबाता फ़ुरसत से
मैं...
अपनी अलग चिन्हारी रख
अब नहीं उनसे यारी रख
अपनी लड़ाई जारी रख
भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख
कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख
भीड़-भाड़ में खो...