Tag: poetry

Shivangi

छत और लड़कियाँ

छत पर खड़ी लड़की देख रही है अनगिनत घर जो उसके घर से रंग-ढंग में भिन्न होकर भी बिलकुल एक-से हैं। उन सारे घरों में उसकी ही तरह कई लड़कियाँ...
Abstract, Human

कविताएँ: दिसम्बर 2021

एक यूँ ही मौत जिन दिनों मैं उलझ रहा था अपनी नींद से जिन दिनों मैं तोते की तरह रट रहा था ऐतिहासिक तथ्य जिन दिनों रातें बड़ी मुश्किल से...
Kailash Gautam

कविता मेरी

आलम्बन, आधार यही है, यही सहारा है कविता मेरी जीवन शैली, जीवन धारा है। यही ओढ़ता, यही बिछाता यही पहनता हूँ सबका है वह दर्द जिसे मैं अपना कहता...
Sanjay Chhipa

संजय छीपा की कविताएँ

1 कुरेदता हूँ स्मृतियों की राख कि लौट सकूँ कविता की तरफ़ एक नितान्त ख़ालीपन में उलटता-पलटता हूँ शब्दों को एक सही क्रम में जमाने की करता हूँ कोशिश ज़िन्दगी की बेतरतीबी...
Ashok Vajpeyi

स्थगित नहीं होगा शब्द

स्थगित नहीं होगा शब्द— घुप्प अंधेरे में चकाचौंध में बेतहाशा बारिश में चलता रहेगा प्रेम की तरह, प्राचीन मन्दिर में सदियों पहले की व्याप्त प्रार्थना की तरह— स्थगित नहीं होगा शब्द— मौन की...
Kirti Chaudhary

कविताई काम नहीं आती

अब कविताई अपनी कुछ काम नहीं आती मन की पीड़ा, झर-झर शब्दों में झरती थी है याद मुझे जब पंक्ति एक हलचल अशान्ति सब हरती थी यह क्या से क्या...
Man, Peace

मृत्यु को नींद कहूँगा

अंतिम कविता मृत्यु पर नहीं लिखूँगा लिखूँगा जीवन पर 'अंधेरा है' को कहूँगा 'प्रकाश की अनुपस्थिति-भर' धोखे के क्षणों में याद करूँगा बारिश, हवा, सूरज मेरे अंदर जन्मती घृणा को बारिश...
Manbahadur Singh

कविता के बहाने

नहीं मिली मुझे कविता किसी मित्र की तरह अनायास मैं ही गया कविता के पास अपने को तलाशता—अपने ख़िलाफ़ कविता जैसा अपने को पाने! आँधी के पहले ललौंछ आकाश हुमशता...
Anamika Anu

कविताएँ: अक्टूबर 2020

तुम्हारा सम, मेरा विषम है तुम मिले अब तक नहीं मुझसे चार दशक से हम भाई-बहन हैं तुम माँ के बेटे हो मैं बेटी हूँ बाग़ी हम दोनों के...
Om Purohit Kagad

फिर कविता लिखें

आओ आज फिर कविता लिखें कविता में लिखें प्रीत की रीत ...जो निभ नहीं पायी या कि निभायी नहीं गई! कविता में आगे रोटी लिखें जो बनायी तो गई मगर खिलायी नहीं गई! रोटी के बाद कफ़न-भर कपड़ा...
Nand Kishore Acharya

प्रेम-कविता

कोई शब्द विलोम नहीं होता किसी शब्द का वह अपना आप होता है जब तक बलात् तुम उसे दूसरे से भिड़ाओ नहीं कविता भिड़ाती नहीं साथ-साथ करती है शब्दों को —उनको भी विलोम...
Woman from village

जुहार करती हुईं

पहले उसने कहा— भई! मैं कविताएँ सुन-सुनकर बड़ा हुआ हूँ हमारे लड़ दादा कवि थे हमारे पड़ दादा कवि थे हमारे दादा महाकवि थे पिता जी अनेकों पुरस्कारों से नवाज़े...
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