Tag: Poonam Sonchhatra
अपराध बोध
'Apradh Bodh', a poem by Poonam Sonchhatra
वक़्त बीत जाने पर मिलने वाला प्रेम
नहीं रह पाता उस गुलाब की कली के जैसा
जिसे बड़े जतन से
जीवन...
छज्जे पर टँगा प्रेम
'Chhajje Par Tanga Prem', a poem by Poonam Sonchhatra
टाँग रक्खे हैं
बहुत से सुख-दुःख हमने छज्जे पर
कुछ बातें केवल इसलिए होती हैं
कि उन्हें छज्जे पर...
नौकरीपेशा औरतें
'Naukripesha Auratein', a poem by Poonam Sonchhatra
काफ़ी कुछ कहा जाता है इनके बारे में
उड़ने की चाह लिए
पैर घुटनों तक ज़मीन में गड़ाए
दोहरी ज़िंदगी जीने...
मेरे हिस्से का इतवार
'Mere Hisse Ka Itwaar', a poem by Poonam Sonchhatra
कोई किताब उठायी
दो-चार सफ़्हे उलट-पलट कर रख दिए
टीवी पर चल रही फ़िल्म देखते-देखते
कुछ ही पलों में,
मैं...
बेटी की माँ
'Beti Ki Maa', a poem by Poonam Sonchhatra
हम चार बहनें हैं
हाँ हाँ
और एक भाई भी है
सही समझा आपने
भाई सबसे छोटा है
लेकिन हम बहनें सौभाग्यशाली रहीं
क्योंकि...
रौशनी
'Raushni', a poem by Poonam Sonchhatra
ये समय
ये कठिन समय
रात्रि के अन्तिम पहर का है
जब निशा ने
अपनी गहनतम चादर से
पूरे संसार को ढक रखा है..
मैं सभी...
छोटी कहानियाँ
'Chhoti Kahaniyan', a poem by Poonam Sonchhatra
कुछ कहानियाँ छोटी होती हैं
बेहद छोटी...
जिनमें एक तितली
उड़ने के पहले ही
अपने रंग खो देती है
और मुट्ठी में मसल...
मेरे पिता
कहते हैं बेटियाँ पिता को ज़्यादा प्यारी होती हैं...
बचपन से ही देखती आ रही हूँ
और आज भी
जब अपनी नन्हीं बिटिया को
उसके पिता के कंधो पर...