Tag: ग़रीबी
रोटी नाम सत है
रोटी नाम सत है
खाए से मुगत है
ऐरावत पर इन्दर बैठे
बाँट रहे टोपियाँ
झोलियाँ फैलाए लोग
भूग रहे सोटियाँ
वायदों की चूसणी से
छाले पड़े जीभ पर
रसोई में लाव-लाव भैरवी...
इकत्तीसवीं सदी में
यह व्यंग्य मैं इकत्तीसवीं सदी में लिख रहा हूँ, ईसवी सन तीन हज़ार बीस में। आधुनिक व्यंग्यकार टाइम मशीन के सहारे एक हज़ार साल...
जसवीर त्यागी की कविताएँ
प्रकृति सबक सिखाती है
घर के बाहर
वक़्त-बेवक़्त
घूम रहा था
विनाश का वायरस
आदमी की तलाश में
आदमी
अपने ही पिंजरे में क़ैद था
प्रकृति, पशु-पक्षी
उन्मुक्त होकर हँस रहे थे
परिवर्तन का पहिया
घूमता...
रोग पुराण
ये सूखे बदन और ये बीमार बचपन
जवाँ हैं अपाहिज, बुढ़ापा अजीरन
ये भारत की जनता, ये जनता का जीवन
है कैसा ये जीवन ज़रा ये बताओ।
ये...
कच्ची बस्ती
गलियाँ
और गलियों में गलियाँ
छोटे घर
नीचे दरवाज़े
टाट के पर्दे
मैली, बद-रंगी दीवारें
दीवारों से सर टकराती
कोई गाली
गलियों के सीने पर बहती
गन्दी नाली
गलियों के माथे पर बहता
आवाज़ों का...
मुझे नहीं पता
जब मुर्ग़ा बाँग देता है
तब सवेरा होता है
या जब सबेरा होता है
तब मुर्ग़ा बाँग देता है
इसकी फ़िलॉसफ़ी क्या है?
मुझे नहीं पता!
पर
पिछले कुछ दशकों में
मुर्ग़ानुमा...
राहुल बोयल की कविताएँ
1
एक देवी की प्रतिमा है - निर्वसन
पहन लिया है मास्क मुख पर
जबकि बग़ल में पड़ा है बुरखा
देवताओं ने अवसान की घड़ी में भी
जारी रखी...
गोबिन्द प्रसाद की कविताएँ
आने वाला दृश्य
आदमी, पेड़ और कव्वे—
यह हमारी सदी का एक पुराना दृश्य रहा है
इसमें जो कुछ छूट गया है
मसलन पुरानी इमारतें, खण्डहरनुमा बुर्जियाँ और
किसी...
नवयुग आया
सूरज डूबा
साँझ हुई
गुवाले आए गाँव में,
चन्दा सोया
तारे नाचे
घुँघरू बाँधे पाँव में।
चौपालों पर
बूढ़े बैठे
चर्चाओं का दौर है,
लूटपाट और
तोड़-फोड़ का
गाँव-गाँव में शोर है।
पानी महँगा
ईंधन महँगा
यह कैसा...
दस की भरी तिजोरी
सौ में दस की भरी तिजोरी, नब्बे ख़ाली पेट
झुग्गीवाला देख रहा है साठ लाख का गेट।
बहुत बुरा है आज देश में
लोकतन्त्र का हाल,
कुत्ते खींच रहे...
हम बोले रोटी
उन्होंने कहा—
देखो!
हमने देखा!
...वे ख़ुश हुए।
उन्होंने कहा—
सुनो!
वे बहुत ख़ुश हुए!
उन्होंने कहा—
खड़े रहो!
हम खड़े रहे!
वे बहुत ही ख़ुश हुए।
उन्होंने कहा—
बोलो!
हमने कहा— 'रोटी'!
वे नाराज़ हुए!
बहुत नाराज हुए!!
बहुत ही...
अम्बिकेश कुमार की कविताएँ
Poems: Ambikesh Kumar
विकल्प
उसने खाना माँगा
उसे थमा दिया गया मानवविकास सूचकाँक
उसने छत माँगी हज़ारों चुप्पियों के बाद
उसे दिया गया एक पूरा लम्बा भाषण
उसने वस्त्र माँगा मेहनताना
उसे...