Tag: Power
हमारे शासक
हमारे शासक ग़रीबी के बारे में चुप रहते हैं
शोषण के बारे में कुछ नहीं बोलते
अन्याय को देखते ही वे मुँह फेर लेते हैं
हमारे शासक...
लाठी भी कोई खाने की चीज़ होती है क्या?
हमारे देश में लाठियाँ कब आयीं
यह उचित प्रश्न नहीं
कहाँ से आयीं
यह भी बेहूदगी भरा सवाल होगा
लाठियाँ कैसे चलीं
कहाँ चलीं
कहाँ से कहाँ तक चलीं
क्या पाया...
आवारा के दाग़ चाहिए
दो वक़्तों का कम से कम तो भात चाहिए
गात चाहिए जो न काँपे
सत्ता के सम्मुख जो कह दूँ
बात चाहिए कि छिप जाने को रात...
कुर्सीनामा
1
जब तक वह ज़मीन पर था
कुर्सी बुरी थी,
जा बैठा जब कुर्सी पर वह
ज़मीन बुरी हो गई।
2
उसकी नज़र कुर्सी पर लगी थी
कुर्सी लग गयी थी
उसकी...
क्षणिकाएँ : मदन डागा
कुर्सी
कुर्सी
पहले कुर्सी थी
फ़क़त कुर्सी,
फिर सीढ़ी बनी
और अब
हो गई है पालना,
ज़रा होश से सम्भालना!
भूख से नहीं मरते
हमारे देश में
आधे से अधिक लोग
ग़रीबी की रेखा के...
टूटता तिलिस्म
'Tootata Tilism', a poem by Pranjal Rai
संवादों के दौरान अक्सर अधूरे रह जाते हैं कुछ प्रश्न,
कि प्रश्नों का अधूरा रह जाना
कितना ज़रूरी है एक...
अगर तस्वीर बदल जाए
सुनो, अगर मैं बन जाऊँ
तुम्हारी तरह प्रेम लुटाने की मशीन
मैं करने लगूँ तुमसे तुम्हारे ही जैसा प्यार
तुम्हारी तरह का स्पर्श जो आते-जाते मेरे गालों पे...