Tag: Prayagnarayan Tripathi
अन्तिम दो क्षण
दो क्षण चुप-चुप
लिए हाथ में हाथ
निहारे वन, उपवन, तृण,
दृष्टि बचावें
गरम धूप में
नरम दूब पर
बैठे रहें निकट हम
किसी ध्यान में
बहुत पास
फिर भी उदास
डूबे-डूबे-से
फिर सहसा कस...